पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब
पूर्ण परमात्मा चारों युग में आते हैं , सतयुग में सत सुक्रत नाम से, त्रेता युग में मुनींद्र , द्वापर युग में करुणामय तथा कलयुग में ये कबीर नाम से प्रकट हुए।
कबीर परमात्मा की ना तो जन्म होता है और ना ही मृत्यु होती हैं ये सशरीर प्रथ्वी पर आते हैं तथा सशरीर ही जाते हैं
इनका जन्म मा के गर्भ नहीं होता बल्कि ये कमल के फूल पर प्रकट अपनी लीला करते हैं।
कबीर परमात्मा 600 वर्ष पहले मगहर में प्रकट हुए थे
कबीर परमेश्वर ने अपने जीवन में कई सारी लीलाएं की । तथा अनेकों बार धरती के दुष्ट प्राणियों द्वारा उनको मारने की नाकाम कोशिशे की गई
कबीर परमात्मा को मारने के लिए गए प्रयत्न
1. शेखतकी ने अविनाशी को मारने के लिए खूनी हाथी के आगे डाला। हाथी कबीर भगवान के पास जाते ही डर कर भाग गया। तब लोगों ने कबीर साहेब की जय-जय कार की। कबीर भगवान अविनाशी है।
2.कबीर साहेब जब सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि इनके गले में जहरीला साँप डाल दो लेकिन वो साँप कबीर साहेब के गले में डालते ही सुंदर पुष्पों की माला बन गया।
3. गर्म लोहे से दागने का प्रयास
4. गंगा नदी में डुबोकर मारने का प्रयास
तथा ऐसे ही सेकड़ो बार उनको मारने के प्रयत्न किए गए
कबीर परमात्मा को बदनाम करने का प्रयास
No comments:
Post a Comment