"एक विचार लें. उस विचार को अपनी जिंदगी बना लें. उसके बारे में सोचिये, उसके सपने देखिये, उस विचार को जिए.
आपका मन, आपकी मांसपेशिया, आपके शरीर का हर एक अंग, सभी उस विचार से भरपूर हो. और दुसरे सभी विचारों को छोड़ दे. यही सफ़लता का तरीका हैं। "-
आपका मन, आपकी मांसपेशिया, आपके शरीर का हर एक अंग, सभी उस विचार से भरपूर हो. और दुसरे सभी विचारों को छोड़ दे. यही सफ़लता का तरीका हैं। "-
अब जरा सोचें जो पल बीत चुके वे हमने मजबूरी में काटे या उन्हें जीया । कही ऐसा तो नहीं कि उन्हें याद करके ही घबरा जाएँ । यदि ऐसा है तो हम अपने जीवन को जीवन नहीं कह सकते ।
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