Wednesday, 8 July 2020

मानव वास्तव में कौन कहला सकता हैं

             

           मानव वास्तव में कौन कहला सकता हैं



मानव कहलाने का वास्तव में उसी को अधिकार है जो इस पृथ्वी पर मालिक न बनकर किरायेदार की तरह रहता हो।


आज मनुष्य ने अपनी अल्पबुधी से न जाने कितनी तरीको से इस धरती पर तथा इस पर रहने वाले जीवो पर  अत्याचार किए।

मानव इस सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है लेकिन आज के मनुष्य के कृत्य इतने खतरनाक है कि इस धरती का हर एक जीव जीव आए दिन इसकी इच्छाओ का शिकार होता जा रहा है।


आज मनुष्य माया में इतना चूर हो चुका है कि उसको नहीं पता कि आगे उसके साथ क्या बनेगा ।

मानव जीवन का उद्देश्य होता है कि इस जन्म मृत्यु के चक्र से छुटकारा प्राप्त कर सके ।
मानव मद्र में चूर होकर जानवरो से भी बद्तर हो गया  है।


आज मनुष्य नशे की हालत में इस कदर पागल हो गया है कि उसे नहीं पता कि किस काम में उसका भला है या बुरा।


आज का मानव नशे , भ्रष्टाचार, दहेज, कन्या भूर्ण हत्या, जात पात का भेदभाव तथा बलात्कार जैसे नीच कामों में जकड़ता जा रहा है।

मानव वास्तव मै कौन कहला  सकता है  - 

  वास्तव में मानव कहलाने का हक संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों का है 


क्योंकि संत जी ने उन्हें ऐसी सतभक्ती बताई जिसे प्राप्त करके मनुष्य का जीवन सफल हो सकता हैं - 


1. संत रामपाल जी के अनुयाई ना तो नशा करते है ओर ना ही नशा करने में दूसरों का सहयोग करते है।


2. संत रामपाल जी के अनुयाई ना तो दहेज लेते हैं और ना ही दहेज देते है ।

3. संत जी के अनुयाई ना रिश्वत लेते हैं और ना ही किसी को रिश्वत देते है।

4. आज संत रामपाल जी ने न केवल भारत को बल्कि सम्पूर्ण विश्व को अपनी सतभक्ती  के आधार पर भ्रष्टाचार मुक्त करने का बीड़ा उठाया है।
5. संत रामपाल जी ने आज लाखो दहेज मुक्ति विवाह करवाकर लाखो परिवारों को बर्बाद होने से बचाया है।

6.संत रामपाल जी के शिष्य सभी महिलाओं का सम्मान करते हैं।
7. मृत्यु भोज का विरोध करना।
8. सभी सदग्रंथो के आधार पर  प्रमाण सहित ये सिद्ध करना कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है।

इस प्रकार संत रामपाल कि महाराज अपने द्वारा बताई गई सत्त भक्ति से लाखो लोगो से बुराइयों छुड़वा चुके है तथा छुड़वा रहे है।

इस प्रकार संत रामपाल कि महाराज अपने द्वारा बताई गई सत्त भक्ति से लाखो लोगो से बुराइयों छुड़वा चुके है तथा छुड़वा रहे है।

इस तरह संत जी के द्वारा बताई गई सतभक्ती करके तथा समस्त बुराइयों का त्याग करने बाद ही मानव को वास्तव में मानव कहा जा सकता हैं।

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