कावड़ यात्रा के फायदे?
कावड़ को भी इस संसार में देवताओं को प्रसन्न करने का एक माध्यम मानते है लोग।
ऐसा माना जाता हैं की सर्वप्रथम रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जल चढ़ाया था तभी से लोग श्रावण माह में अलग अलग देव स्थानों से जल लाकर शिव को अर्पित करते हैं।
आज के लोगो ने इसे भक्ति विधि न मानकर अपने मनोरंजन का एक माध्यम बना लिया है
इसका सबसे ज्यादा गलत फायदा युवावर्ग ने लिया वो कावड़ यात्रा के बहाने अनेकों नशे जैसे भांग आदि का सेवन करते है।
लोग इसे भक्ति विधि न जानकर अपने मनोरंजन का एक साधन मानते है वे अश्लील गानों पर नाचते हुए नशे में धुत होकर न जाने कितनी ही दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते है।
आज कावड़ यात्रा के इस शौक ने न जाने कितने परिवारों के चिराग बुझा दिए।
एक अच्छे समाज के लिए हमे इन्हे छोड़ना चाहिए क्योंकि हमारे सदग्रांथो में कहीं पर भी कावड़ यात्रा का वर्णन नहीं है जिसे करके हमे कोई लाभ मिल सके।
इस पाखंडवाद को केवल संत रामपाल जी महाराज की सद्भक्ती से दूर किया जा सकता हैं।
रामपाल जी द्वारा कावड़ यात्रा की उचितता -
संत रामपाल जी महाराज बताते है कि हमारे सदग्रंत्थो में कही भी कावड़ यात्रा तथा इससे मिलने वाले लाभों का वर्णन नहीं है।
कावड़ यात्रा शास्त्र प्रमाणित साधना नहीं है तथा साधक को इससे कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है।
कावड़ यात्रा के कारण आज के युवा नशे कि ओर अग्रसर हो रहें हैं वे भगवान शिव का हवाला देकर नशा कर रहे है कि भगवान शिव भांग पीते हैं तो वो भी पिएंगे।
आज एकमात्र संत रामपाल जी महाराज हमे बता रहे है कि हमे केवल शास्त्रा अनुकूल साधना से लाभ हो सकता हैं।
आज कावड़ यात्रा से न जाने कितनी सड़क दुर्घटनाओं में लोगो की जाने जा चुकी हैं।
इस पाखंडवाद को केवल संत रामपाल जी महाराज की सद्भक्ती से दूर किया जा सकता हैं।
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