मुक्ति पाना आसान या मुश्किल
मुक्ति पाना आज के जीवन में जितना मुश्किल है उतना ही आसान है।
लेकिन उसके लिए चाहिए हमें शास्त्रों के अनुसार भक्ति विधि ।
मानुष जन्म दुर्लभ है , मिले ना बारम्बार ,
तरुवर से पत्ता टूट गिरे , बहुर न लगता डार।
न जाने लाखों योनियों से गुजरकर हमे ये दुर्लभ मनुष्य का जीवन मिला जिसे हम यूं ही बर्बाद किए जा रहे है जैसे - भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, दहेज, नशाखोरी,दुराचार आदि में व्यर्थ गवा रहे है।
हमे आज के युग में जहां भक्ति मुक्ति की राह को खोजना चाहिए वहीं हम आज समाज में व्याप्त बुराइयों की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं।
परमात्मा ने हमें मनुष्य का जीवन इस जन्म मरण के जाल से मुक्त होने के लिए दिया है ना कि इसे नशे रूपी मायाजाल में लिप्त रहने के लिए।
लेकिन आज के इन नकली संतो कि भक्ति विधि से मोक्ष संभव नहीं है उसके लिए हमे चाहिए सतभक्ती वो भी उस तत्वदर्शी संत के द्वारा जिसका वर्णन गीता जी में किया गया है
मोक्ष केवल पूर्ण गुरु की शरण में जाने से हो सकता हैं जिसका वर्णन गीता जी में किया गया है-
कौन है वो पूर्ण संत -
संत रामपाल जी महाराज ही वो पूर्ण गुरू है जो गीता जी में बताए गए उल्टे लटके वृक्ष के जड़ सहित सभी भागों का वर्णन अपने तत्वज्ञान से करते हैं जिसका वर्णन आज तक प्रथ्वी पर कोई भी संत नहीं कर सका।
संत रामपाल जी ही एकमात्र ऐसे संत है जिन्होंने हमारे
सद्ग्रंथो जैसे - गीताजी , कुरान सरीफ, बाईबल, पुराणों तथा वेदों को खोलकर उन पर अंगुली रखकर एक - एक शब्द का भेद बताया है तथा सर्व प्रमाणों से ये सिद्ध किया है कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है।
संत रामपाल जी से नाम दीक्षा लेकर आज लाखो लोग नशे , दहेज , रिश्वत खोरी तथा भ्रष्टाचार का त्याग कर चुके है
संत रामपाल जी ने अपने तत्वज्ञान से सतलोक उस शाश्वत लोक का भेद बताया है जहां जाने के बाद मनुष्य वापस जन्म मरण के चक्कर में नहीं रहता।
आज संत रामपाल जी की शरण में आकर लाखो लोग शास्त्रानुकूल सतभक्ति कर रहे तथा इस काल के लोक से अपना पिछा छुडवा रहे हैं।
आज इस विश्व में संत रामपाल जी ही वो एकमात्र संत जिसके शरण में जाकर मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर सकता है